सफर’ बच्चों की रचनात्मकता और सृजनशीलता के प्रोत्साहन के लिए कृतसंकल्प है। विगत सात महीनों के दौरान सफर दिल्ली सरकार आवासीय परिसर तिमारपुर और आस-पड़ोस के बच्चों के साथ विविध तरह की रचनात्मक गतिविधियों में सक्रिय है। इसी शृंखला की अगली कड़ी के तौर पर 14 नवंबर ‘बाल दिवस’ के मौक़े पर एक पंद्रह दिवसीय बाल-अभियान का संचालन किया गया।
पाँच नवंबर को इलाक़े के बच्चों ने स्थानीय मनोरंजन कक्ष में एक बैठक आयोजित की जिसमें 10 से 14 साल के पैंसठ बच्चों ने हिस्सा लिया, और यह तय किया कि बाल दिवस के अवसर पर कार्यक्रम किया जाए। उन्होंने यह बताया कि उनके लिए थिएटर, कहानी, कविता लेखन, चित्राकला इत्यादि पर रोचक कार्यशालाओं का आयोजन किया जाए।
12 नवंबर को बच्चों ने इलाक़े में प्रभात पेफरी निकाली। इसके बाद लगभग 30 बच्चों का एक दल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में चल रहे इंडियन सोशल फोरम देखने गया। देश-विदेश में विभिन्न सांस्कृतिक-सामाजिक संगठनों के जल, जंगल, ज़मीन, पहचान समेत तमाम क़िस्म के मानवाधिकार आंदोलनों से वे रू-ब-रू हुए। बच्चें ने वहाँ एक रैली भी निकाली और दिल्ली में जारी सीलिंग की समस्या पर अपना नाटक 'बापू के तीनों बंदर' भी दिखाए।
19 नवंबर को 'बगिया: बाल उत्सव' के रूप में इस अभियान का समापन हुआ। दिल्ली सरकार आवासीय परिसर के मुख्य पार्क में आयोजित इस कार्यक्रम में बच्चों ने 'खेल-खेल में', 'बापू के तीन बंदर', 'पानी रे पानी' तथा 'किस्सा कूड़े का' नामक नाटक के माध्यम से क्रमश: लिंगभेद, सीलिंग, जल और साफ-सफाई की समस्याओं की स्थानीय लोगों का ध्यान आकर्षित किया। दिलचस्प बात है कि ये चारों ही नाटक कार्यशालों के दरम्यान बच्चों ने ख़ुद ही तैयार किए थे। संवाद और निर्देशन भी उन्हीं का था। सफर के कार्यकर्ताओं ने मात्र ज़रूरत के समय उनकी सहायता की और उनके लिए अन्य सहयोग जुटाए. नाटकों के अलावा बच्चों ने रोज़मर्रा से जुड़े सरोकारों पर आधरित गीत और नृत्य भी प्रस्तुत किए।
बगिया की शुरुआत सुबह 11 बजे मनोरंजन कक्ष में आयोजित चित्रकारी कार्यशाला से हुई। बच्चों ने अपने दैनंदिन जीवन के अनुभवों को रंग और ब्रश के माध्यम से अभिव्यक्त किया। दोपहर एक बजे बच्चों ने सामूहिक भोज किया, जिसमें अपने-अपने घरों से लाए लज़ीज़ भोजन को उन्होंने आपस में बाँटकर खाया। भोजन के तुरंत बाद बच्चों ने राज्य द्वारा खड़ी की गयी सीमाओं पर बच्चों की प्रतिक्रिया पर आधारित बिनोद गनतारा की फिल्म 'हेडा-होडा' देखी और उस पर चर्चा की। बातचीत के दौरान बच्चों ने कहा कि ये फिल्म उनके माता-पिता को भी दिखायी जानी चाहिए। उसके बाद 'पर्यावरण और हम' विषय पर एक कार्यशाला आयोजित की गयी जिसमें 'वी फॉर यमुना' नामक एक संस्था के श्री विमलेन्दु झा ने फेसिलिटेटर की भूमिका अदा की। उन्होंने बड़े ही रोचक और दिलचस्प तरीक़े से पर्यावरण के विभिन्न रंगों पर बातचीत की और गाने भी गाए।
मुख्य कार्यक्रम का आगाज़ शाम साढ़े चार बजे से कॉलोनी के मेन पार्क में 'जिगरी' नामक बैंड के गायन से हुआ। जिगरी ने अडम गोंडवी, फैज़, दुष्यंत कुमार की कुछ नज्मों के अलावा विभिन्न आंदोलनों के गीत पेश किए। इसके बाद बच्चों ने मंच की बागडोर अपने हाथों में थामी।
कार्यक्रम के औपचारिक समापन से पूर्व गुरू गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय में क़ानून के प्राधयापक श्री अनुज वक्ष, दिल्ली स्वास्थ्य सेवा में कार्यरत सुश्री जस्सी मैथ्यु, दिल्ली मिल्क स्कीम में असिस्टेंट मैनेजर श्री अमल कुमार सेन, सामाजिक कार्यकर्ता श्री शशिमोहन तथा गृहणी सुश्री अनीता ने बच्चों के बीच पुरस्कार वितरित किया।
सफ़र के दिल्ली संयोजक श्री गौतम जयप्रकाश ने बच्चों के स्वस्थ विकास के लिए वातावरण तैयार करने की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि आज परीक्षा में अधिक से अधिक अंक लाने के दवाब तले बच्चे इस क़दर पिस रहे हैं कि उन्हें अपनी सृजनात्मकता का एहसास भी नहीं हो पाता है। माता-पिता महानगर की आपाधापी में बच्चों की ज़रूरत का धयान नहीं रख पाते हैं। बच्चों की रचनात्मकता और सृजनशीलता को उचित अवसर प्रदान करना सफ़र का एक प्रमुख लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सफ़र की हरसंभव कोशिश होगी कि बच्चों के स्वस्थ विकास और स्कूली सबक के बोझ से हटकर उनकी सृजनशीलता को प्रोत्साहित किया जाए और उन्हें मंच प्रदान किया जाए। 'बगिया' का आयोजन इस दिशा में एक महत्तवपूर्ण क़दम है।
दर्शकों तथा प्रतिभागियों का आभार व्यक्त करते हुए सफ़र लीगल सेल की संयोजिका एडवोकेट चंद्रा निगम ने 'वी फॉर यमुना' तथा 'डीए फ़्लैट्स रेजिडेंट्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन' को कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कॉलोनी की महिलाओं से ख़ास तौर पर यह अपील की कि बच्चों के सपनों की दुनिया को साकार करने में वे बच्चों का साथ दें। बिन्नी, आकृति तथा रुचि ने कार्यक्रम का संचालन किया। राजन शर्मा, आदित्यनाथ, नरेश गोस्वामी, अविनाश कुमार, भावना, रजनीश कुमार, शिशुपाल सिंह, सोनू, चंचल, संगीता तथा अशोक कुमार के सक्रिय योगदान ने भी कार्यक्रम के सफल सन्चालन में अहम भूमिका निभायी।
प्रस्तुति: भावना
1 टिप्पणी:
पुरानी यादें ताजा हो आई, मैं भी तो था उस कार्यक्रम में
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