भारत पर्यावास केन्द्र (इंडिया हैविटेट सेंटर), लोधी रोड स्थित पाम कोर्ट में चल रहे रहे इस कार्यक्रम में शांति-संदेशों से लैस पोस्टर और फ़ोटो प्रदर्शनियों के अलावा विभिन्न सामाजिक मसलों पर कार्यरत् संस्थाओं द्वारा उनके कामों से संबंधित कामों की जानकारी से युक्त स्टॉल्स भी लगाए गए हैं.
‘सफ़र’ ने इस कार्यक्रम में अपनी सहयोगी संस्था ‘माटी’ के साथ मिलकर पेश किया 'स्वयम्', मिथकीय प्रसंग महिषासुर मर्दिनी की पुनर्व्याख्या.
मिथकों में कहा गया है कि दुर्गा की उत्पत्ति आसुरी शक्तियों का विनाश करने के लिए हुई थी. महिषासुर नामक दानवों के राजा को कई वर्षों की तपस्या के बाद ब्रह्मा ने वरदान दिया था कि कोई भी देवता या मानव (नर) उसका वध नहीं कर पाएगा. इस वरदान के घमंड में इतना चूर हो गया कि वह पूरी दुनिया पर शासन करने का ख़्वाब देखने लगा, और पूरी दुनिया को आतंकित करना शुरू कर दिया. तीनों लोकों में भय और दहशत का माहौल पैदा हो गया. देवता भी उससे मुक़ाबला करने में असफल रहे. आखिरकार उन्होंने त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश के पास जाकर महिषासुर के आतंक से आज़ाद कराने की विनती की. कोई स्त्री ही उसका संहार कर सकती थी यह जानकर तीनों देवताओं ने अपनी उर्जा से देवी यानी दुर्गा का सृजन किया, और उसे अस्त्र-शस्त्र से लैस किया. रूद्र ने अपना त्रिशुल, विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र, ब्रह्मा ने अपना कमंडल और इंद्र ने वज्र आदि हथियारों से देवी को सुसज्जित किया. और फिर संग्राम में सामने आने पर दुर्गा ने त्रिशुल से महिषासुर का सीना भेदकर तीनों लोकों को असुरों के आतंक से मुक्त कराया.
आधुनिक युग में भी स्त्रियों को तरह-तरह की आसुरी शक्तियों का मुक़ाबला करना करना पर रहा है. हर क्षेत्र में स्त्रियां असुरक्षित हैं. घर-परिवार, या समाज या फिर कार्यस्थल : शोषण जारी है. छेड़खानी, बलात्कार, तेज़ाब से हमला, दहेज़-हत्या, या फिर गर्भ में मादा भ्रूण हत्याएं ... फ़ेहरिस्त अंतहीन है.
अत: महिलाओं को ही फिर से इस राक्षस का अंत करना होगा. आज की स्त्रियां बेहद उर्जावान है, आत्म-सम्मान, शिक्षा, चेतना तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता से लैस हैं, असुरों का बध करने में सक्षम हैं और ये सिद्ध कर सकते हैं कि वो अदि-शक्ति दुर्गा की वंशज हैं.
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