शनिवार, 20 अक्तूबर 2007

माई न पढ़े देई अ हमरा


अभय कुमार

मेरे घर के नजदीक नदी है. आजकल उसमें पानी है. पुल न होने की वजह से लोगों को पानी हेलकर ही उसे पार करना पड़ता है. एक दिन मैं जब अपने दफ़्तर से काम करके वापस लौट रहा था तो जैसे ही मैंने नदी के पास अपनी साइकिल का ब्रेक दबाया, मुझे ऐसा लगा जैसे कोई बच्चा आसपास कविता गा रहा है ‘दादाजी ने लाए आम, दादी ने धुलवाए आम ... घास चबाती बकरी आयी ...’ मुझे लगा कोई बच्चा स्कूल से लौट रहा है. मैंने जैसे ही मुड़कर देखा तो मैं अचरज में पड़ गया. एक पांच-छह साल की बच्ची सड़क किनारे बैठकर कविता गा रही थी और उसके आसपास चार-पांच बकरियां चर रही थी.

मैंने उससे उसके मन की बात जानने की कोशिश की तो पहले तो उसने कुछ बोला ही नहीं. बाद में मैंने उसे प्यार से समझाया-बुझाया, फिर भी उसका डर ख़त्म नहीं हुआ. काफ़ी समझाने-बुझाने के बाद मैंने भय ख़त्म किया. फिर उसने अपना नाम बताय, ‘सोनी’. मैंने उससे पूछा कि क्या वो स्कूल जाती है? उसने कहा, ‘नहीं’. मैंने पूछा ‘क्यों’? उसने कहा, ‘हमर माई हमरा स्कूल न जाए देई छई. कहई छई स्कूल जाके तू कि करबे? तू बकरी चरो. अहिला हम स्कूल न जाई छी.’ फिर मैंने उससे पूछा कि उसने इतनी प्यारी कविता कहां से सिखी है? उसने जवाब में पूछा, ‘कविता कथि के कहई छई हम न जनइले.’ फिर मैंने उसे समझाते हुए कहा, ‘जे तू गवईत रहले हे अखनि उसे कविता होई छई, कहां से सिखले ई.’ उसके बाद वह बोली, ‘हमर भइया एक दिनमा इ पढईत रहई, उसे सुन के हम सिख गेली, उहे गवईत रहलि ह.’ मैंने उससे फिर पूछा, ‘तोहर मन न करई छउ पढ़े के’ तो वह बोली, ‘मन त करई अ पढ़े के लेकिन हमर माई न पढ़े जाए देई अ हमरा.’

उस छोटी-सी बच्च की बात सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी आंख खुल गयी हो, क्योंकि मुझे हमेशा लगता था कि मां-बाप तो चाहते ही हैं कि बच्चे पढ़ें पर बच्चे ही नहीं पढ़ना चाहते होंगे. मैंने उस लड़की को अपने घर का पता बताया और कहा, ‘तू बिहान से हमरा शिक्षाघर में आब, हम पढबउ तोरा.’

3 टिप्‍पणियां:

dipak ने कहा…

my hindi writing is bad, but i liked what i read. please keep your thinking fresh like it is now.

सफ़र ने कहा…

yes dipak

This kind of number of stories based on the village live you will get on this blog. In fact, this is an effort to bring out the actual life of Tariyani chhapra village (seohar district, bihar)into the public domain and explore the possibility of some activities or campaigns for greater common good. Very soon safar is going to launch another blog in English for non hindi people.

suraj ने कहा…

Please come and have first hand experience in Araria, what is going on in the name of CHILD LABOR SPL. SCHOOL.