रविवार, 14 अक्तूबर 2007

मेरी भैंस देखी है आपने ...

विजय सिंह

28 सितंबर 2007

चार-पांच रोज़ से मुसलाधार बारिश हो रही है. इसकी निरंतरता को देखकर लगता है कि अभी कुछ दिन यही स्थिति रहने वाली है. हालांकि अब तक गांव में बाढ़ का पानी तो नहीं आया मगर बारिश से ही इतना पानी आ गया है कि लगता है कि बाढ़ आ गयी है. चारो तरफ़ पानी ही पानी. गांव से पानी निकलने के लिए कोई नाला ही नहीं है. और जहां कहीं नाला काट कर बनाया जाता है वहां सड़क ही काट देते हैं लोग जिससे आवागमन ठप ह जाता है. इसी वजह से न लोग रास्ता काटने देते हैं और न ही पानी गांव से निकल पाता है.

वैसे जब बारिश हो रही थी तो समूचे गांव का ध्यान उस बांध पर टिकी हुई थी जो टूटने वाला था. सबको ये लगने लगा था कि बांध तो गया, कोई इसे टूटने से नहीं रोक सकता. ऐसा इसलिए कि जब वर्षा होती है तब नदी में पानी बढ़ने लगता है. और जब पानी बांध के बराबर में आ जाए तो वह बांध को तोड़ेगा ही. उस दौरान बांध और उसके आसपास का नज़ारा देखकर रूह कांप उठती थी. तब बांध के अंदर उमड़ते पानी को देखकर लगता था कि अगर ये टूट गया तो न जाने कितने गांव हमेशा-हमेशा के लिए इसकी गोद में समा जाएंगे.

तब बांध में हो रहे रिसाव को रोकने के लिए या कमज़ोर स्थान पर रखने के लिए मिट्टी भी नहीं मिल रही थी, क्योंकि बरसात के कारण सब जगह पानी ही पानी था. कल्पना करके ही सिहरन पैदा हो जाती है कि अगर वैसी हालत में बांध टूटा होता तो क्या हालत हुई होती गांव की.

पर क्या हमलोग हमेशा ऐसे ही डर-डर के जिएं? हर वक़्त यही डर बना रहता है कि इस बार नहीं टूटा तो अगली बार ज़रूर टूट जाएगा बांध. इससे निजात पाने का कोई न कोई रास्ता तो होगा न?

उस रात की घटना की एक बात जब भी याद आती है तो जबरदस्त हंसी आती है. जिस रात बांध टूटने का अफ़वाह उड़ा उसके अगले रोज़ कुछ लोग गांव में घूम-घूम कर लोगों से पूछ रहे थे कि आपने मेरी भैंस देखी है, मेरी बकरी पर नज़र पड़ी है आपकी ... ?

असल में हुआ ये था कि उस रात बांध टूटने का जो हल्ला हुआ तो लोगों ने अपनी गाय, भैंस, बकरी वगैरह की रस्सी खोल दी थी ताकि पानी में डूबने से बचने के लिए ये मवेशी कहीं उंचे स्थान पर चले जाएं. और जब ये अफ़वाह साबित हुई तो अगले दिन खोज-ख़बर शुरू.

2 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बड़ी भयावह और चिंतनीय स्थिती का बखूबी चित्रण किया है आपने.

Amar Rathode ने कहा…

We saw village in films and telivision it seems like ,,a honeymoon spot or picnic spots but
what ever you have discribed,,this is real scene of a village..good job vijay.