शुक्रवार, 28 सितंबर 2007

बाढ़ और अफ़वाह


पिछले ढाई-तीन महीनों के दौरान उत्तर बिहार बुरी तरह बाढ़ से प्रभावित रहा. जान-माल की बर्बादी ने पिछले सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए. बाढ़ के दौरान गांव-जवार में बाढ़ के बारे में कैसे और कैसी अफ़वाहें फैलती हैं, और लोग उनको किस तरह लेते हैं - सफ़र, बिहार के कुछ साथी तरियानी छपरा , शिवहर से अपनी डायरी के कुछ पन्नों के माध्यम से हमसे साझा कर रहे हैं. पेश है अभय का पन्ना :

ठीक ग्यारह बज रहे थे। मैं बाज़ार एक दुकानदार के पास बैठा था। तभी हल्ला हुआ, ‘‘बाँध एकदम से टूटने के क़गार पर है।’’ फिर क्या था! सभी दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें बंद करने लगे। मैं जिस दुकानदार के पास बैठा था उसने भी झटपट अपनी दुकान बंद की और बोला, ‘‘अभय भाई मैं घर जा रहा हूँ। आप भी घर चले जाइए।’’ मैं कुछ नहीं बोला पाया एक दो मिनट के अन्दर सारी दुकानें बंद हो गईं। अब कुछ लोग अपने घर की तरफ़ चल ड़े और कुछ बाँध की ओर। मैं खड़ा-खड़ा सोचने लगा कि अब क्या करूँ। इतने में ही मेरा एक दोस्त मोटर-साइकिल से आया और बोल, ‘‘अभय यहाँ पर तुम क्या कर रहे हो बाँध टूटने वाला है? जल्दी से घर चलो। मैंने कहा, ‘‘अरे भाई मुझे घर जाना होता तो कब का चला गया होता।’’ मेरे दोस्त ने फिर कहा, ‘‘तो क्या बाढ़ में डुबोगे?’’ मैंने बोला, ‘‘हीं रे, काहे डरता है तू बाढ़ से, चल मेरे साथ। हम सब मिलकर बाँध को टूटने से बचाते हैं।’’ मेरा दोस्त एकदम से घबरा गया और बोला, ‘‘....... देख मेर भाई अगर तू बाँध को टूटने से बचाने की कोशिश करेगा तो चल मैं भी तेरे साथ हूँ, जो होगा देखा जाएगा। जब हम दोनों दोस्त बाँध पर पहुँचे तो वहाँ गज़ब का नज़ारा था। कोई अपने कंधे पर अनाज़ का बोरा लादे हुए इधर-से-उधर भाग रहा था तो कोई अपने मवेशियों को सुरक्षित स्थान की ओर ले जा रहा था। गाँव के कुछ नौजवान बोरे में मिट्टी भरकर वहाँ डाल रहे थे जहाँ पर बाँध कि स्थिति बहुत ही ख़राब थी। मैं और मेरे दोस्त भी उन नौजवानों की मदद में लग गए। इतने में बाँध की देख-रेख करने वाला गार्ड आया। वहाँ खड़े सभी लोगों ने उसे घेर लिया। सबका एक ही सवाल था उससे, ‘‘कहाँ है तुम्हारी प्रशासन? हम लोग अगर इस बाढ़ में बह जाते तो तुम लोग आते हमलोगों की लाशें उठाने। इतने में कुछ नौजवान पीटो-पीटोचिल्लाने लगे। लेकिन कुछ लोगों ने थोड़-थम कर दिया और लोगों की मेहनत रंग लाई। बाँध तत्काल टूटने से बच गया।

आभार: चन्दन शर्मा

कोई टिप्पणी नहीं: