बुधवार, 25 जून 2008

कल IIT दिल्ली में धरना

पिछले दिनों ख़बर आयी कि इस साल आईआईटी दिल्ली में वार्षिक परीक्षा में लगभग दो दर्जन छात्रों को फेल कर दिया गया है. यह भी पता चला कि वहां परीक्षा और परिणामों की कोई नियत पद्धति नहीं है. शिक्षक अपने हिसाब से पास होने के लिए न्यूनतम अंक तय करते हैं, जो उनकी मर्जी के हिसाब से घटता-बढ़ता रहता है. इस पास-फेल के गेम में वैसे बच्चों को खास तौर से टारगेट किया जाता है जो पिछड़े इलाक़ों और समुदायों से आते हैं. जबरन फेल किए गए एक छात्र ने बताया कि आईआईटी दिल्ली में परीक्षा-परिणाम की घो‍षणा नोटिस-बोर्ड पर नहीं की जाती है, छात्रों को व्यक्तिगत ई मेल या फ़ोन के ज़रिए उनके परिणाम बताए जाते हैं. ज़ाहिर है, परीक्षा-परिणाम की घोषणा का यह तरीक़ा और कुछ भी हो पर पारदर्शी तो नहीं ही कहा जा सकता है.
इस महीने की शुरुआत में लगभग दर्जन छात्रों को परीक्षा में फेल बताकर संस्थान छोड़ने का नोटिस जारी किया गया था. ऐसे ही कुछ छात्रों ने एससी/एसटी कमिशन में शिकायत दर्ज की थी जिसकी सुनावाई करते हुए विगत 17 जून को आयोग ने संस्थान के डायरेक्टर और डीन को तलब किया और अगली तारीख़ पर इससे मुताल्लिक रिपोर्ट पेश करने को कहा. उसके बाद से आईआईटी प्रशासन ने जबरन फेल किए गए छात्रों को बुलाकर धमकाना और तरह-तरह का प्रलोभन देना शुरू कर दिया है.
आईआईटी प्रशासन की धांधली और छात्रों के भविष्य के साथ किए जा रहे खिलवाड़ के खिलाफ़ विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों के छात्रों, शिक्षकों एवं दिल्ली के मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कल दिनांक 26 जून 2008 को सुबह 10.30 बजे आईआईटी मेन गेट पर धरने का निर्णय लिया है. आप तमाम इंसाफ़ पसंद लोगों से आग्रह है कि इस धरने में शामिल हों और उच्च शिक्षा के इस संस्थान में प्रशासन के पक्षपातपूर्ण व्यवहार का प्रतिवाद करें.

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