बुधवार, 5 नवंबर 2008
सफ़र की नयी शुरुआत
रंजय कुमार की रपट
समाज के वंचित तबकों को वैकल्पिक मीडिया और कानूनी जागरुकता के ज़रिए रचनात्मक सहयोग देने के लिए कृतसंकल्प स्वयंसेवी संस्था ‘सफ़र’ ने बीते दिनों अपने उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद गांव स्थित कार्यालय में युवा कथाकार अभिषेक कश्यप और आशीष कुमार अंशु का कहानी पाठ आयोजित किया।
इस अवसर पर अभिषेक कश्यप ने अपनी कहानी ‘स्टेपिंग स्टोन’ और आशीष कुमार अंशु ने अपनी कहानी ‘एक्स वाई की कहानी’ का पाठ किया। मौके पर उपस्थित श्रोताओं ने दोनों कहानियों पर खुलकर अपनी राय सामने रखी।
‘स्टेपिंग स्टोन’ पर लंबी चर्चा करते हुए चंद्रा निगम ने कहा - ‘कहानी की शुरुआत इन दो पंक्तियों से होती है - ‘इस कहानी का संबंध बी. दास के जीवन में घटे एक छोटे-से वाक़ये से है।’ और ‘छोटे-छोटे वाक़ये हमें याद रहते हैं और यही हमारा जीवन होता है।’ बी. दास के जीवन में घटे मामूली वाक़यों से शुरू हुई यह कहानी आगे चलकर इतनी बड़ी हो जाती है कि पांव फिसलने लगता है। सचमुच आज पूंजीवाद एक डरावनी हकीकत में बदल चुका है, जिसका शिकार बी. दास के साथ-साथ वह नब्बे करोड़ लोग हैं, जो पत्थर में तब्दील हो गए हैं और दस करोड़ लोग इन नब्बे करोड़ लोगों के कंधे पर चढ़ कर एक ऐसे स्वर्ग में पहुंच गए हैं, जहां भूख, पीड़ा, पराजय, हताशा, बीमारी और बदबू नहीं... वहां जीवन हर क्षण उत्सव है... तेज रोशनी का चारों तरफ़ फैलता हुआ अंधेरा है...!’
भूषण तिवारी ने कहा - ‘यह पूंजीवाद के नृशंसता के प्रतिरोध की कहानी है।’
डॉ. अजीता राव ने आशीष के ‘एक्स वाई की कहानी’ की चर्चा करते हुए कहा - ‘यह स्त्री-पुरुष के जटिल अंतस्संबंधों की खूबसूरत कहानी है। जाने-पहचाने कथ्य का ट्रीटमेंट गजब का है।’
गोष्ठी के अंत में ‘सफ़र’ के सचिव, ‘मीडियानगर’ के संपादक और मीडियाकर्मी राकेश कुमार सिंह ने संस्था की भावी योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा - ‘यह ‘सफ़र’ की एक नई शुरुआत है। मंडी हाउस और दक्षिणी दिल्ली के भव्य संस्कृति केन्द्रों के बरक्स उत्तरी दिल्ली में ‘सफर’ के इस अड्डे को हम एक आत्मीय संस्कृति केन्द्र के तौर पर विकसित करना चाहते हैं। हम जल्द ही दिल्ली के लेखकों-बुद्धिजीवियों से मिलकर यह आग्रह करने वाले हैं कि वे अपनी पसंद की चुनी हुई किताबें हमें भेंट करें, जिसे ‘सफर’ के वाचनालय में रखा जा सके। साथ ही यहां हम एक पुस्तक विक्रय केन्द्र भी शुरू करना चाहते हैं, जहां विविध विषयों पर प्रकाशित नई पुस्तकें उपलब्ध हों। इसके अलावा यहां हम समय-समय पर युवा चित्राकारों की प्रदर्शनी भी आयोजित करेंगे। वैकल्पिक मीडिया और वंचित तबकों की कानूनी सहायता पर केन्द्रित एक पाक्षिक अख़बार निकालने की भी हमारी योजना है।’
समाज के वंचित तबकों को वैकल्पिक मीडिया और कानूनी जागरुकता के ज़रिए रचनात्मक सहयोग देने के लिए कृतसंकल्प स्वयंसेवी संस्था ‘सफ़र’ ने बीते दिनों अपने उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद गांव स्थित कार्यालय में युवा कथाकार अभिषेक कश्यप और आशीष कुमार अंशु का कहानी पाठ आयोजित किया।
इस अवसर पर अभिषेक कश्यप ने अपनी कहानी ‘स्टेपिंग स्टोन’ और आशीष कुमार अंशु ने अपनी कहानी ‘एक्स वाई की कहानी’ का पाठ किया। मौके पर उपस्थित श्रोताओं ने दोनों कहानियों पर खुलकर अपनी राय सामने रखी।
‘स्टेपिंग स्टोन’ पर लंबी चर्चा करते हुए चंद्रा निगम ने कहा - ‘कहानी की शुरुआत इन दो पंक्तियों से होती है - ‘इस कहानी का संबंध बी. दास के जीवन में घटे एक छोटे-से वाक़ये से है।’ और ‘छोटे-छोटे वाक़ये हमें याद रहते हैं और यही हमारा जीवन होता है।’ बी. दास के जीवन में घटे मामूली वाक़यों से शुरू हुई यह कहानी आगे चलकर इतनी बड़ी हो जाती है कि पांव फिसलने लगता है। सचमुच आज पूंजीवाद एक डरावनी हकीकत में बदल चुका है, जिसका शिकार बी. दास के साथ-साथ वह नब्बे करोड़ लोग हैं, जो पत्थर में तब्दील हो गए हैं और दस करोड़ लोग इन नब्बे करोड़ लोगों के कंधे पर चढ़ कर एक ऐसे स्वर्ग में पहुंच गए हैं, जहां भूख, पीड़ा, पराजय, हताशा, बीमारी और बदबू नहीं... वहां जीवन हर क्षण उत्सव है... तेज रोशनी का चारों तरफ़ फैलता हुआ अंधेरा है...!’
भूषण तिवारी ने कहा - ‘यह पूंजीवाद के नृशंसता के प्रतिरोध की कहानी है।’
डॉ. अजीता राव ने आशीष के ‘एक्स वाई की कहानी’ की चर्चा करते हुए कहा - ‘यह स्त्री-पुरुष के जटिल अंतस्संबंधों की खूबसूरत कहानी है। जाने-पहचाने कथ्य का ट्रीटमेंट गजब का है।’
गोष्ठी के अंत में ‘सफ़र’ के सचिव, ‘मीडियानगर’ के संपादक और मीडियाकर्मी राकेश कुमार सिंह ने संस्था की भावी योजनाओं की जानकारी देते हुए कहा - ‘यह ‘सफ़र’ की एक नई शुरुआत है। मंडी हाउस और दक्षिणी दिल्ली के भव्य संस्कृति केन्द्रों के बरक्स उत्तरी दिल्ली में ‘सफर’ के इस अड्डे को हम एक आत्मीय संस्कृति केन्द्र के तौर पर विकसित करना चाहते हैं। हम जल्द ही दिल्ली के लेखकों-बुद्धिजीवियों से मिलकर यह आग्रह करने वाले हैं कि वे अपनी पसंद की चुनी हुई किताबें हमें भेंट करें, जिसे ‘सफर’ के वाचनालय में रखा जा सके। साथ ही यहां हम एक पुस्तक विक्रय केन्द्र भी शुरू करना चाहते हैं, जहां विविध विषयों पर प्रकाशित नई पुस्तकें उपलब्ध हों। इसके अलावा यहां हम समय-समय पर युवा चित्राकारों की प्रदर्शनी भी आयोजित करेंगे। वैकल्पिक मीडिया और वंचित तबकों की कानूनी सहायता पर केन्द्रित एक पाक्षिक अख़बार निकालने की भी हमारी योजना है।’
बाढ़ के दो महीने बाद सहरसा-सुपौल
सफ़र के एक दो सदस्यीय दल ने बीते अक्तूबर के दूसरे सप्ताह में बाढ़ग्रस्त सरहसा, सुपौल और मधेपुरा जिले का जायजा लिया. उसी यात्रा के दौरान ली गयी कुछ तस्वीरें आपसे साझा की जा रही है, शायद वहां के हालात को बता पाने में कामयाब हो पाएंगी ये तस्वीरें.
bihar floods after 2 months |
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